अंजली सोसाइटी के एक टावर में तीसरी मंजिल पर बने एक फ्लैट में रूममेट युवतियों के साथ रहती थी. पुलिस ने अंजली के मोबाइल से नंबर तलाश कर उस के घर वालों को इस घटना की सूचना दे दी.
दिल्ली से लगा
नोएडा भले ही हाईटेक सिटी
के रूप में विकसित हो
रहा है, लेकिन
आए दिन होने
वाले अपराध इस
औद्योगिक नगरी के
माथे पर कलंक की तरह
हैं. 31 मई, 2017 की
सुबह नोएडा के
सेक्टर-62 स्थित पौश
सोसाइटी शताब्दी रेल
विहार को भी एक ऐसे
आपराधिक कलंक से दोचार होना
पड़ा, जो इस सोसायटी के रहवासियों
की कल्पना से
भी परे था.
उस दिन सुबहसुबह
रेलविहार सोसाइटी के पार्किंग
के पास एक युवती खून
से लथपथ पड़ी
मिली. उस के सिर से
काफी खून बह चुका था.
सोसाइटी में जिस ने भी
सुना सन्न रह गया. जरा
सी देर में वहां काफी
लोग एकत्र हो
गए. आननफानन में
कुछ लोग उस युवती को
नजदीकी अस्पताल ले
गए. लेकिन डाक्टरों
ने उसे देखते
ही मृत घोषित
कर दिया. वहीं
पता चला कि मृतका के
सिर में गोली
मारी गई थी.
सोसायटी में लोगों
की भीड़ लग चुकी थी.
उन्हीं में से किसी ने
इस वारदात की
सूचना थाना सैक्टर-58
को दे दी थी. सूचना
मिलते ही थानाप्रभारी
दिलीप सिंह बिष्ट
और सीओ अजय कुमार वहां
आ पहुंचे. पुलिस
ने मौका मुआयना
किया तो वहां पिस्टल का
एक खाली कारतूस
पड़ा मिला, जिसे
पुलिस ने अपने कब्जे में
ले लिया. पुलिस
ने डौग स्क्वायड
को भी मौके पर बुलवाया,
लेकिन उस से कोई खास
मदद नहीं मिली.
अलबत्ता इस बीच
मृतका की शिनाख्त
जरूर हो गई. उस का
नाम अंजली राठौर
था. 22 वर्षीया अंजली
उर्फ अन्नू मूलरूप
से हरियाणा के
यमुनानगर निवासी तेजपाल
सिंह की बेटी थी और
नोएडा के सैक्टर-64
स्थित लावा मोबाइल
कंपनी में बतौर
इंजीनियर नौकरी करती
थी.
अंजली सोसाइटी के एक टावर में
तीसरी मंजिल पर
बने एक फ्लैट
में रूममेट युवतियों
के साथ रहती
थी. पुलिस ने
अंजली के मोबाइल
से नंबर तलाश
कर उस के घर वालों
को इस घटना की सूचना
दे दी.
हैरानी की बात
यह थी कि इस दुस्साहसिक
वारदात का किसी को पता
तक नहीं चल सका था.
घटना का पता तब चला,
जब 7 बजे एक युवती बैंक
की कोचिंग क्लास
में जाने के लिए निकली.
सब से पहले उसी ने
अंजली को ग्राउंड
फ्लोर पर पार्किंग
के पास पड़ी
देखा. उसे लगा कि अंजली
सीढि़यों से गिरी
होगी. इस के बाद ही
वहां लोग एकत्र
हुए और अंजली
को अस्पताल ले
गए.
पुलिस के सामने
सब से बड़ा सवाल यह
था कि इतनी बड़ी घटना
आखिर क्यों और
कैसे हुई? जाहिर
था हत्यारा बाहर
से ही आया होगा. सोसायटी
के गेट पर सिक्योरिटी गार्ड रहते
थे, वहां सीसीटीवी
कैमरे भी लगे थे. पुलिस
ने गार्डों से
पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि
सुबह 6 बजे के थोड़ा बाद
कंधे पर बैग लटकाए एक
युवक आया था और कुछ
मिनट बाद ही वापस चला
गया था.
उस की गतिविधियों
पर कोई शक नहीं हुआ,
इसलिए किसी ने भी उसे
नहीं रोका. उस
ने गेट के रजिसटर में
एंट्री भी की थी. पुलिस
ने रजिस्टर चैक
किया तो उस में सन्नू
के नाम से एंट्री थी.
युवक का मोबाइल
नंबर भी लिखा था. उस
नंबर पर काल की गई
तो वह स्विच्ड
औफ मिला.
पुलिस ने सीसीटीवी
कैमरे की रिकौर्डिंग
देखनी चाही तो पता चला
कि मुख्य गेट
के कैमरे का
फोकस बिगड़ा हुआ
था, जिस की वजह से
वह युवक आतेजाते
उस की जद में नहीं
आ पाया था.
अच्छी बात यह थी कि
पार्किंग साइड का
कैमरा सही था.
उस की रिकौडिंग
की जांच की गई तो
दो पिलर के बीच की
रिकौर्डिंग में दिखाई
दिया कि युवती
बचाव की मुद्रा
में भाग रही थी, जबकि
हाथ में हथियार
लिए वह युवक उस के
पीछे दौड़ रहा
था.crime story
युवक के कंधे
पर बैग था. इस से
यह बात साफ हो गई
कि यह वही युवक था,
जिस का जिक्र
गार्ड ने किया था. कैमरे
की रिकौर्डिंग से
युवक की पहचान
साफ नहीं हो पा रही
थी.
इस बीच मृतका
के घर वाले और नाते
रिश्तेदार भी आ
गए थे. उन का रोरो
कर बुरा हाल
था. पुलिस ने
अंजली के शव का पंचनामा
कर के उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
पुलिस यह नहीं समझ पा
रही थी कि उस युवक
की अंजली से
आखिर क्या दुश्मनी
रही होगी.
मामला प्रेमप्रसंग का भी लग रहा
था, क्योंकि वह
युवक अंजली की
हत्या के इरादे
से ही आया था. अंजली
भी अपनी मर्जी
से उस से मिलने फ्लैट
से नीचे आई थी. पुलिस
ने अंजली के
घर वालों से
पूछताछ की, लेकिन
उन से कोई सुराग नहीं
मिल सका.
अंजली के मोबाइल
की जांच से पता चला
कि सुबह उस के मोबाइल
पर अश्वनी यादव
नाम के किसी युवक की
काल आई थी. अश्वनी के
बारे में ज्यादा
कुछ पता नहीं
चल सका. पुलिस
ने गेट रजिस्टर
में लिखे मोबाइल
नंबर की जांच कराई तो
वह अश्वनी के
नाम पर ही निकला. पुलिस
ने अंजली के
पिता तेजपाल सिंह
की तहरीर पर
अश्वनी के खिलाफ
हत्या का मुकदमा
दर्ज कर लिया.
बड़ा सवाल यह भी था
कि ऐसे कौन से हालात
थे कि अश्वनी
अंजली का हत्यारा
बन गया?
मामला सनसनीखेज भी था और एक
इंजीनियर की हत्या
का भी. एसएसपी
लव कुमार ने
अपने अधीनस्थ अफसरों
को इस मामले
में शीघ्र काररवाई
करने के निर्देश
दिए. हत्या के
खुलासे के लिए एसपी सिटी
अरुण कुमार सिंह
के निर्देशन में
एक पुलिस टीम
का गठन कर दिया गया.
अगले दिन पुलिस
ने अश्वनी व
अंजली के मोबाइल
की काल डिटेल्स
निकलवाई तो पता चला कि
उन के बीच बातें होती
रहती थीं.
मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर
कंपनी से पुलिस
को अश्वनी का
पता मिल गया.
पता दिल्ली का
ही था. पुलिस
टीम उस पते पर पहुंची
तो जानकारी मिली
कि वह पता उस के
एक जानने वाले
का था, जिस पर उस
ने सिमकार्ड लिया
था. गनीमत यह
रही कि वहां से पुलिस
को अश्वनी का
पता मिल गया.
वह उत्तर प्रदेश
के इटावा जिले
के गांव भावलपुर
के रहने वाले
शैलेंद्र का बेटा
था. उस का मोबाइल भले
ही बंद था, लेकिन वारदात
के समय और उस के
आधे घंटे बाद
तक उस की लोकेशन घटनास्थल
के आसपास ही
थी. इस से यह बात
पक्के तौर पर साफ हो
गई कि अंजली
की हत्या उसी
ने की थी.
अगले दिन थानाप्रभारी
दिलीप कुमार के
नेतृत्व में एक टीम इटावा
जा पहुंची. अश्वनी
के घर वालों
से पूछताछ में
पता चला कि वह घटना
के बाद घर तो आया
था, लेकिन थोड़ी
देर रुक कर चला गया
था. आशंका थी
कि अश्वनी अपने
किसी नातेरिश्तेदारों के
यहां शरण ले सकता है.
पुलिस ने उस
के मोबाइल नंबर
हासिल कर के सर्विलांस पर लगा दिए. इस
से पुलिस को
मोबाइल की लोकेशन
के आधार पर अश्वनी के
मैनपुरी जिले के गांव अंधियारी
में अपने एक रिश्तेदार के यहां छिपे होने
की सूचना मिली.
पुलिस टीम वहां
गई तो 2 जून
को वह पुलिस
की गिरफ्त में
आ गया.
उसे पकड़ कर
नोएडा लाया गया.
प्राथमिक पूछताछ में
ही उस ने अपने जुर्म
का इकबाल कर
लिया. पुलिस ने
उस से विस्तृत
पूछताछ की तो एकतरफा प्यार
में पड़े एक ऐसे जुनूनी
आशिक की कहानी
निकल कर सामने
आई, जो हर हाल में
अंजली को अपना बनाना चाहता
था.
दरअसल अंजली और
अश्वनी ने पंजाब
के जालंधर स्थित
लवली यूनिवर्सिटी में
एक साथ पढ़ाई
की थी. दोनों
के बीच गहरी
दोस्ती थी. अश्वनी
ने बीसीए किया
था, जबकि अंजली
ने बीटेक. सन
2016 में दोनों ने
अपना कोर्स पूरा
किया. बीटेक करते
ही अंजली की
नौकरी लावा कंपनी
में लग गई
दूसरी ओर अश्वनी
के परिवार की
माली हालत अच्छी
नहीं थी. उस के पिता
साधारण किसान थे.
उन्होंने मुश्किलों से बेटे को पढ़ाया
था और उसे अच्छा इंसान
बनाना चाहते थे.
यह बात अलग थी कि
काफी प्रयासों के
बाद भी जब उसे कोई
अच्छी नौकरी नहीं
मिली तो उस ने दिल्ली
के लाजपतनगर में
कपड़े के एक शोरूम में
काम करना शुरू
कर दिया. वह
और अंजली फोन
पर बातें किया
करते थे. अश्वनी
उस का अच्छा
दोस्त था, लिहाजा
वह उसे अच्छी
नौकरी के लिए प्रयास करते
रहने की सलाह देती थी.
अंजली को उस
की फिक्र है,
यह बात अश्वनी
को गुदगुदाती थी.
वह अपने कैरियर
से ज्यादा अंजली
के बारे में
सोचता रहता था.
जबकि अंजली अपनी
नई नौकरी से
खुश थी और मन लगा
कर काम कर रही थी.
अंजली को इस की खबर
भी नहीं थी कि अश्वनी
उसे एकतरफा प्यार
करता है. हालांकि
कई बार बातों
और इशारों में
उस ने अंजली
के सामने जाहिर
करने का प्रयास
तो किया था,
लेकिन वह समझ नहीं सकी.
अश्वनी मन की बात खुल
कर इसलिए नहीं
कह पाता था कि कहीं
अंजली नाराज हो
कर उस से दूर न
हो जाए.
अंजली के कुछ
शुभचिंतक छात्रछात्राओं को पता चला कि
अश्वनी उसे एकतरफा
प्यार करता है तो उन्होंने
उसे उस से सावधान रहने
को कहा. बहरहाल,
समय अपनी गति
से चलता रहा.
काम की व्यस्तता
में अब अंजली
की अश्वनी से
बातचीत कम होने लगी.
इसी साल जनवरी,
2017 में अश्वनी की
नौकरी छूट गई, जिस के
बाद वह अपने गांव चला
गया. गांव जा कर उस
का दिमाग और
भी खाली हो गया. उस
ने अपने दिल
की बात अंजली
को बता कर उसे हासिल
करने की सोची.
उस ने फोन पर अंजली
से प्यारभरी बातें
कीं तो उस ने उसे
समझा दिया, ‘‘अश्विनी,
मैं तुम्हें अपना
अच्छा दोस्त मानती
हूं, इस से ज्यादा कुछ
नहीं.’’
इस से अश्वनी
को झटका लगा.
अंजली से उस की बातचीत
पहले ही कम हो गई
थी. जब किसी इंसान की
अपेक्षाओं को चोट
पहुंचती है तो कई बार
गलतफहमियां पैदा हो
जाती हैं और इंसान बातों
का मतलब अपने
हिसाब से खोजने
लगता है. अश्वनी
के साथ भी ऐसा ही
हुआ. उसे लगा कि अंजली
का नोएडा में
किसी युवक से प्रेमप्रसंग चल रहा है, इसलिए
अब वह उस से बात
नहीं करती. यह
सोच कर उस के सिर
पर अंजली को
पाने का फितूर
सवार हो गया. उस के
दिल में अंजली
के लिए इतना
प्यार था कि उस के
बिना वह जीने की कल्पना
भी नहीं कर सकता था.
अंजली के व्यवहार
से उसे लगा कि वह
अपने नए प्रेमी
के चक्कर में
उस से दूर हो रही
है, इसलिए वह
उस प्रेमी को
ही रास्ते से
हटा देगा.
लेकिन परेशानी यह थी कि वह
अंजली के किसी प्रेमी को
नहीं जानता था.
ऐसी स्थिति में
यह जानकारी अंजली
ही दे सकती थी. उस
ने सोच लिया
कि वह नोएडा
जा कर अंजली
के प्रेमी को
तो रास्ते से
हटाएगा ही, साथ ही अंजली
के सामने भी
अपने प्यार का
खुल कर इजहार
करेगा.
अश्वनी के ही
गांव का उस का एक
दोस्त था विपुल.
उस ने विपुल
को सारी बातें
बताईं तो वह दोस्ती की
खातिर उस का साथ देने
को तैयार हो
गया. विपुल ने
आपराधिक किस्म के
एक व्यक्ति कोरा
से संपर्क कर
के एक सप्ताह
के लिए 3 हजार
रुपए में किराए
पर .32 बोर की पिस्टल ले
ली. उस ने अंजली को
भी फोन कर दिया कि
वह उस से मिलने के
लिए आएगा.
30 मई को वह
अपने दोस्त के
साथ नोएडा पहुंच
गया. उस ने अंजली को
फोन किया और उस से
मिलने की जिद की तो
औफिस टाइम के बाद उस
ने उसे सोसाइटी
में आ कर मिलने को
कहा. करीब 8 बजे
वह सोसाइटी में
उस से मिलने
आ गया. दोनों
के बीच काफी
देर तक बातें
हुईं.
अश्वनी ने उस
की आंखों में
आंखें डाल कर कहा, ‘‘मैं
तुम से प्यार
करता हूं अंजली.
यही बात तुम्हें
समझाना चाहता हूं,
लेकिन तुम समझने
को तैयार नहीं
हो.’’
बदले में अंजली
ने हलके गुस्से
का इजहार किया,
‘‘क्योंकि तुम ऐसी
बात समझाना चाहते
हो, जो मैं समझना नहीं
चाहती. मेरे सामने
कैरियर है अश्वनी.
तुम्हें भी इन बातों को
छोड़ कर अपना ध्यान अपने
कैरियर पर लगाना
चाहिए.
‘‘दिल को समझाना
इतना आसान होता
तो मैं कब का संभल
गया होता, लेकिन
मेरे लिए यह मुमकिन नहीं
है. मैं ने दिल से
तुम्हें चाहा है.’’
गंभीरता से कही गई उस
की बातें सुन
कर अंजली हैरान
रह गई.
‘‘मैं तुम्हें किस तरह समझाऊं अश्वनी?
प्लीज, ऐसी बातों
को भूल जाओ.
तुम ऐसे ही रहे तो
मैं तुम से दोस्ती भी
नहीं रख पाऊंगी.’’
अश्वनी को अंजली
की एकएक बात
कांटे की तरह चुभ रही
थी. मन ही मन उस
ने जो ढेरों
ख्वाब सजाए थे,
वे कांच की तरह टूट
रहे थे. उसे पक्का यकीन
हो गया था कि अंजली
जरूर किसी के प्यार में
पड़ी है.
‘‘अच्छा, मैं तुम्हें
एक रात और सोचने का
मौका देता हूं.
अच्छी तरह सोच कर सुबह
जवाब दे देना,
साथ ही अपने जवाब से
पहले मुझे उस लड़के का
नाम भी बता देना, जिस
से तुम प्यार
करती हो.’’
अंजली को चूंकि
इस मुद्दे पर
कुछ सोचना ही
नहीं था, इसलिए
उस ने पीछा छुड़ाने के लिए कहा, ‘‘अच्छा
ठीक है, अब जाओ.’’ इस
के बाद वह चला गया.
रात उस ने
एक गेस्टहाउस में
करवटें बदल कर बिताईं. उस की जिंदगी का
एक ही उद्देश्य
था अंजली को
प्यार के लिए तैयार करना
और उस के साथ दुनिया
बसाना. दिन निकलते
ही 6 बज कर 5 मिनट पर
उस ने अंजली
को फोन मिला
कर कहा, ‘‘मैं
आ रहा हूं अंजली.’’
‘‘क्या करोगे आ
कर. मैं निर्णय
ले चुकी हूं.’’
‘‘क्या?’’ उस ने
उत्सुकता से पूछा
तो अंजली ने
बेरुखी से जवाब दिया, ‘‘यही कि तुम्हें अपने कैरियर
पर ध्यान देना
चाहिए. एक और बात, मैं
तुम से दोस्ती
नहीं रखना चाहती.’’
कहने के साथ
ही अंजली ने
फोन काट दिया
तो अश्वनी तड़प
उठा. फिर भी उस ने
सोसायटी जाने की ठान ली.
वह खतरनाक इरादा
बना चुका था कि अंजली
से आखिरी बार
बात जरूर करेगा
और अगर उस ने अब
भी इनकार किया
तो वह उसे गोली मार
कर खुद को भी खत्म
कर लेगा.
इसी इरादे के
साथ वह शताब्दी
रेलविहार सोसायटी पहुंच गया.
उस का दोस्त
विपुल बाहर ही खड़ा रहा.
सोसायटी के गेट पर एंट्री
रजिस्टर में उस ने सन्नू
नाम से एंट्री
की और अंदर चला गया.
यह उस के घर का
नाम था. उस ने अंजली
को फोन कर के आखिरी
बार नीचे आ कर मिलने
को कहा. वह नीचे आ
गई. दोनों पार्किंग
में सीढि़यों के
पास खड़े हो गए.
‘‘तुम किसी और
से प्यार करती
हो अंजली? मुझे
अपने उस प्रेमी
का नाम बता दो. मैं
उसे खत्म कर दूंगा, ताकि
तुम मेरी हो सको.’’
‘‘ऐसी कोई बात
नहीं है अश्वनी.
प्लीज, तुम जाओ.
और हां, आइंदा
मुझे परेशान करने
की कोशिश मत
करना.’’
अंजली की बात
सुन कर अश्वनी
बुरी तरह हताश
हो गया. उस की हालत
हारे हुए जुआरी
जैसी हो गई.
‘‘नहीं, मैं आखिरी
बार पूछ रहा हूं. उस
का नाम बता दो और
मेरा दिल मत तोड़ो.’’ उस ने कठोर लहजे
में जिद की तो अंजली
ने भी वैसा ही रुख
अपनाया, ‘‘क्या बकवास
कर रहे हो तुम. मुझे
कोई बात नहीं
करनी.’’
यह सुनते ही
अश्वनी गुस्से में
बोला, ‘‘बात तो तुम्हें करनी होगी.’’
गुस्से से तिलमिलाते
हुए उस ने बैग से
पिस्टल निकाल कर
अंजली पर तान दी, ‘‘आज
मैं तुम्हारा किस्सा
ही खत्म कर दूंगा. तुम
मेरी नहीं तो किसी और
की भी नहीं हो सकती.’’
उस के खतरनाक
इरादे भांप कर अंजली के
पैरों तले से जमीन खिसक
गई. वह जल्दी
में बोली, ‘‘तुम
पागल हो गए हो अश्वनी?’’
‘‘हां, मैं पागल
हो गया हूं.’’
स्थिति ऐसी बन
गई थी कि एकाएक अंजली
की समझ में कुछ नहीं
आया. कुछ नहीं
सूझा तो वह मुड़ कर
तेजी से भागी और एक
पिलर की आड़ में छिपने
की कोशिश करने
लगी. अश्वनी भी
उस के पीछे दौड़ा और
उस के सिर को टारगेट
बना कर उस पर गोली
चला दी. गोली
लगते ही अंजली
गिर पड़ी. कुछ
ही देर में उस ने
दम तोड़ दिया.
इस के बाद अश्वनी ने
खुद की कनपटी
पर पिस्टल तान
कर ट्रिगर दबाया,
लेकिन गोली नहीं
चली. इस पर पिस्टल बैग
में रख कर वह वहां
से निकल गया.
रास्ते में उस
ने सैक्टर-62 स्थित
बी ब्लाक की
झाडि़यों में पिस्टल
फेंक दी. अपना
मोबाइल भी उस ने स्विच्ड
औफ कर दिया.
वह और उस का दोस्त
वहां से औटो पकड़ कर
सीधे आनंद विहार
बसअड्डे पहुंचे और
बस से गांव चले गए.
अश्वनी को पता
था कि पुलिस
उस की तलाश जरूर करेगी,
इसलिए वह अपने रिश्तेदारों के यहां छिप कर
घूमता रहा. घर वालों से
वह दूसरे नंबरों
से बात करता
था. आखिर वह पुलिस की
पकड़ में आ ही गया.
पुलिस ने उस की निशानदेही
पर 2 कारतूस सहित
हत्या में प्रयुक्त
.32 बोर की पिस्टल
बरामद कर ली.
3 जून को पुलिस
अधिकारियों ने प्रेसवार्ता
कर के पत्रकारों
को उस की करतूत बताई
और उसी दिन उसे माननीय
न्यायालय के समक्ष
पेश किया, जहां
से उसे 14 दिनों
की न्यायिक हिरासत
में जेल भेज दिया गया.
अश्वनी की जिद
व जुनून ने
दोस्ती के रिश्ते
को भयानक अंजाम
पर पहुंचा दिया.
2 लोगों के बीच दोस्ती हो
जाना कोई बात नहीं, लेकिन
अश्वनी की उग्र प्रवृत्ति ने अंजली
को असमय मौत
दे कर उस के परिवार
को तो गम दिया ही,
साथ ही उस ने उस
के खून से हाथ रंग
कर अपना भविष्य
भी चौपट कर लिया. अश्वनी
ने हसरतों को
लगाम दे कर विवेक से
काम लिया होता
या अंजली उस
के सनकी मिजाज
को भांप गई होती तो
शायद ऐसी नौबत
कभी न आती.
कथा लिखे जाने
तक अश्वनी की
जमानत नहीं हो सकी थी.
अश्वनी का दोस्त
विपुल फरार है.
पुलिस उस की तलाश कर
रही है.
– कथा पुलिस सूत्रों
पर आधारित
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