Thursday, 23 November 2017

नशे पर रोक से घटेंगे यौन हमले






पहली बार निशाने पर रहा है शराब से जुड़ा ग्लैमर
पश्चिमी देशों की स्टडी के अनुसार हमले की शिकार एक तिहाई महिलाएं शराब पिए होने के कारण हमला रोक पाने में असमर्थ होती हैं






विभिन्न देशों में हुए अध्ययनों में सामने आया है कि 50 प्रतिशत या उससे अधिक यौन हिंसा हमलों में शराब नशीली दवाओं की भूमिका रहती है। ऐंटोनिया ऐबी, टीना जवाकी अन्य विशेषज्ञों नेऐल्कॉहॉल यौन हमलेशीर्षक से अमेरिका केनैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऐल्कॉहॉल अब्यूस ऐंड ऐल्कॉहॉलिज्मके लिए एक अनुसंधान पत्र लिखा है, जिसमें इस विषय के व्यापक अध्ययन के आधार पर उनका निष्कर्ष है किहिंसक अपराधों में कम से कम आधे में हमला करने वाले और हमले के शिकार में से एक या दोनों व्यक्ति शराब के नशे में थे।

युवाओं पर असर
यौन हिंसा की भी यही स्थिति है। अलग-अलग स्थानों के अध्ययनों में पाया गया है कि हर 2 में से 1 यौन हमला उन पुरुषों द्वारा किया गया जो शराब के नशे में थे। दरअसल, नशे में व्यक्ति को यह ध्यान नहीं रहता है कि उसके अनुचित व्यवहार के उसके महिला के लिए क्या परिणाम होंगे और उसे यह भी ध्यान नहीं रहता कि उसके लिए कैसा व्यवहार उचित है। नशे में किए गए यौन हमलों में सामान्य यौन हमलों की अपेक्षा अधिक गंभीर चोट लगने की आशंका रहती है। मार्टिन हमर के एक अन्य चर्चित रिसर्च पेपर में बताया गया है कि अनेक पार्टियों समारोहों में महिलाओं पर शराब पीने के लिए दबाव बनाया जाता है ताकि उनके यौन शोषण में आसानी हो।

अमेरिकी कॉलेजों में शराब से जुड़ी समस्याओं पर गठित राष्ट्रीय कार्यदल ने बताया कि वहां प्रतिवर्ष 1400 कॉलेज विद्यार्थी ऐल्कॉहॉल से जुड़ी दुर्घटनाओं में मर जाते हैं, 5 लाख जख्मी होते हैं और 70 हजार छात्राएं शराब के नशे से जुड़े यौन हमलों का शिकार होती हैं। इस विषय पर तेस्ता और लिविंगस्टोन के अध्ययन में बताया गया है कि शराब नशीली दवाओं की भूमिका के कारण बलात्कार यौन हिंसा का शिकार बनी अनेक महिलाओं को ठीक से पता ही नहीं चल पाता कि उनके साथ हुआ क्या है। इससे यह भी पता चलता है कि कुछ नशीली दवाओं को शराब या किसी अन्य ड्रिंक में मिलाकर महिलाओं को पिला दिया जाता है। इन दवाओं का प्रचलन भी हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। यह समस्या विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक स्थितियों में अलग-अलग तरह की हो सकती है। लिहाजा इनके अनुसार ही समझ बनानी चाहिए, पर एक बात सामान्य तौर पर देखी जा रही है कि आधे या उससे भी ज्यादा यौन हमलों में हमलावर नशे में होते हैं। इसे देखते हुए विभिन्न सावधानियों का प्रचार-प्रसार जरूरी है। साथ ही शराब के उपभोग को कम करना भी बहुत जरूरी है।

इस संदर्भ में और भी अध्ययन ऐसे पश्चिमी देशों में हुए हैं, जहां आधी से ज्यादा महिलाएं शराब पीती हैं। गौरतलब है कि भारत और उसके पड़ोसी देशों में बमुश्किल 5 प्रतिशत महिलाएं ही शराब पीती हैं। (हालांकि बड़े शहरों में यह चलन तेजी से बढ़ रहा है) पश्चिमी देशों की स्टडी में सामने आया है कि 50 प्रतिशत पुरुष हमलावरों ने शराब पी होती है तो 33 प्रतिशत हमले की शिकार महिलाओं ने भी शराब पी होती है, जिसके कारण वे हमले को रोक पाने में असमर्थ होती हैं। दूसरी ओर भारत जैसे देशों में मुख्य भूमिका हमलावर पुरुष के नशे की होती है क्योंकि यहां शराब पीने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है इसलिए पश्चिमी देशों के अध्ययनों में जहां महिलाओं द्वारा शराब का सेवन कम करने पर जोर दिया गया है, भारत में पुरुषों के नशे को रोकने की जरूरत अधिक है। पर भारत जैसे विकासशील देशों की पार्टियों में भी अब महिलाओं पर शराब पीने के लिए दबाव बनाया जाता है और ऐसे कई मामले आए हैं जब महिला कहने की या विरोध करने की स्थिति में नहीं होती तो उसका यौन शोषण किया जाता है।

इससे जुड़ी एक अन्य समस्या यह है कि कुछ नशीली दवाओं को शराब या कोल्ड ड्रिंक में मिला दिया जाता है। इन दवाओं का नामडेट-रेप-ड्रगहै। इनका असर इतना अधिक होता है कि केवल महिला यौन हमले का विरोध नहीं कर पाती बल्कि कई बार तो उसे होश ही तब आता है जब हमला हो रहा होता है या हो चुका होता है। कुछ पश्चिमी अध्ययनों में ऐसे रेप का प्रतिशत बहुत अधिक पाया गया है। हमारे देश में यह अपराध अपेक्षाकृत आरंभिक स्थिति में है, पर छिटपुट समाचारों से पता चलता है कि ऐसी समस्याएं बढ़ रही हैं इसलिए समय रहते सचेत होकर इन समस्याओं को व्यापक होने से पहले ही रोक देना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि ऐसे खतरों के प्रति महिलाओं को सावधान किया जाए। पार्टियों में उन पर शराब सेवन के लिए दबाव बनाया जाए। पार्टियों में नशीली दवाओं के प्रवेश पर कड़ी रोक लगाई जाए और जहां नशीली दवाओं की उपस्थिति पाई जाए वहां कड़ी कार्रवाई की जाए। पर सबसे जरूरी यह है कि हर तरह के नशे को न्यूनतम करने को एक जन-अभियान का रूप दिया जाए।


सजग हो जाएं
पश्चिमी देशों की कॉलेज छात्राओं में एक अन्य प्रवृत्तिड्रंकोरेसियाचल निकली है। छरहरापन बनाए रखने के लिए वे बिना कुछ खाए शराब पीती हैं जो उनके लिए और भी हानिकारक सिद्ध होता है। इससे ऐल्कॉहॉल बहुत जल्दी खून में पहुंच जाता है। उधर के स्वास्थ्य महिला संगठन अब महिलाओं को इन खतरों से बचाने के लिए सक्रिय हो रहे हैं। हमें भी इसको लेकर सजग हो जाना चाहिए।आधे से ज्यादा यौन हिंसा मामलों में शराब और नशीली दवाओं की भूमिका रहती है



लेखक: भारत डोगरा

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