Thursday 29 March 2018

खाप पर सख्ती


तरजातीय या दूसरे धर्म में शादी को रोकना अब संभव नहीं होगा। खाप दो प्यार करने वालों पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकती। सुप्रीम कोर्ट ने बालिग प्रेमी युगल की जिंदगी में दखल देने वाले समूहों खाप पंचायतों को अवैध करार दिया है। अदालत ने कहा, खाप किसी के मौलिक अधिकारों में दखल नहीं दे सकती। अगर वे कानून को हाथ में लेती हैं तो पुलिस खाप सदस्यों आयोजकों के खिलाफ आईपीसी के तहत केस दर्ज कर सकती है। सबसे बड़ी अदालत ने इसके लिए गाइड लाइंस भी जारी की है, जिसमें स्पष्ट है कि जब तक सरकार इस पर कानून नहीं बना लेती, तब तक ये गाइड लाइंस अमल में रहेंगी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने इस ऐतिहासिक फैसले में बालिग प्रेमी युगल को शादी या रिश्ता बनाने का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा, लव मैरिज को इज्जत के नाम पर कुचला नहीं जा सकता है। इज्जत के नाम पर बीते तीन सालों में पौने तीन सौ युवाओं को जान से मारा जा चुका है। अकेले 2015 में 192 ऑनर किलिंग हुई हैं। ढेरों मामले तो ऐसे हैं, जिनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई या जिनके परिवार वालों ने इस हत्या को जानबूझ कर छिपा लिया। स्वागतयोग्य बात यह भी है कि अदालत ने लापरवाही करने वाले पुलिस वालों प्रशासन के अधिकारियों पर भी कार, वही की बात की है। अकसर प्रेमी युगल जब पंचायतों के फरमान या परिवार के भय से पुलिस की शरण में जाते हैं तो वे या तो लापरवाही करते हैं या फिर उनका मखौल बना कर वापस परिवारों के ही सुपुर्द कर देते हैं। अपने समाज में अभी भी लड़कियों को वंश की इज्जत के नाम पर देखा जाता है। परिवार की शान और जाति-बिरादरी के नाम पर बालिग बच्चों को भावनात्मक रूप से शोषित किया जाता है। सार्वजनिक रूप से उनको मारना-पीटना या फांसी पर चढ़ा देना रोजाना की खबरों का अहम हिस्सा है। चिंताजनक बात तो यह भी है कि सरकारें अपने वोट बैंक के खाने को ले कर इतनी संकीर्णता रखती हैं कि सुधार की कोर्स र्चचा तक नहीं करतीं। अदालत ने समाज सुधार अधिकारों की रक्षा का जिम्मा निभा कर आम जनता के मन में विशेष स्थान बनाया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब कोई प्रेमी युगल इस तरह बेदर्दी से नहीं मारा जाएगा और उसे उसके अधिकारों का इस्तेमाल करने में पुलिस-प्रशासन मददगार साबित होगा।

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