19 जून, 2017
की शाम मनोज
बेहद खुश था. लेकिन उस
के दोस्त अनुज
को उस की यह बेवजह
की खुशी समझ
में नहीं आ रही थी.
जब रहा न गया तो
अनुज ने पूछ ही लिया,
‘‘बेगानी शादी में
अब्दुल्ला दीवाना क्यों
हो रहा है, कुछ बताएगा
भी या यूं ही बकवास
करता रहेगा.’’
‘‘बताऊंगा, पर ऐसे
नहीं. पहले मिल
कर थोड़ा जश्न
मनाते हैं. फिर
अपनी खुशी का राज जाहिर
करूंगा. ये ले पैसे और
औफिसर्स चौइस की बोतल, तले
हुए काजू, नमकीन
और सिगरेट का
पैकेट ले आ. सोच ले,
आज मैं तुझे
अपनी आजादी की
पार्टी दे रहा हूं.’’ कह
कर उस ने पर्स से
2 हजार रुपए का नोट निकाल
कर अनुज को दे दिया.
अनुज की समझ
में तो कुछ नहीं आया,
लेकिन उस ने मनोज के
हाथों से 2 हजार
रुपए का नोट ले कर
जेब में रखा और शराब
के ठेके की ओर चला
गया. कुछ देर बाद वह
सारा सामान ले
आया तो दोनों
कमरे में पीने
बैठ गए. मनोज
ने 2 पैग बनाए
और जाम से जाम टकराने
के बाद दोनों
शराब पीने लगे.
जब मनोज पर नशे का
सुरूर चढ़ा तो उस ने
कहना शुरू किया,
‘‘अनुज, जानते हो
मैं आज इतना खुश क्यों
हूं.’’
‘‘जब तक तू
बताएगा नहीं, तब
तक मैं कैसे
जानूंगा कि तेरे मन में
किस बात को ले कर
लड्डू फूट रहे हैं.’’ नशे
की झोंक में
अनुज उस की ओर देख
कर बोला.
‘‘बेटे, आज मैं
आजाद हो गया हूं.’’
‘‘पहेलियां न बुझा
कर सीधी तरह
बता, तेरी इस खुशी का
राज क्या है?’’
अनुज ने चौथा पैग पीते
हुए उत्सुकता से
पूछा.
‘‘मैं ने तेरी
भाभी को खुदागंज
रवाना कर दिया है. मुझे
उस से हमेशा
के लिए छुटकारा
मिल गया है.’’
मनोज की बात
सुन कर अनुज को विश्वास
नहीं हुआ, लेकिन
जब उस ने पूरी बात
बताई तो उसे लगा कि
हो न हो मनोज ने
कोमल की हत्या
कर दी है. अनुज का
सारा नशा काफूर
हो गया. थोड़ी
देर तक वह मनोज की
बात सुनता रहा,
फिर पीना छोड़
कर उठ खड़ा हुआ और
घर में किसी
जरूरी काम का बहाना कर
के वहां से चला गया.
बाहर आ कर
वह कुछ दोस्तों
से मिला और मनोज की
बात उन्हें बताई.
सब ने उसे यही सलाह
दी कि इस बात की
सूचना पुलिस को
दे देनी चाहिए,
क्योंकि बाद में वह भी
पुलिसिया लफड़े में
फंस सकता है.
सोचविचार कर उस
ने यह सूचना
कंझावला थाने की पुलिस को
दे दी.
पति द्वारा किसी
औरत की हत्या
की सूचना मिलते
ही कंझावला थाने
की पुलिस हरकत
में आ गई. जेजे कालोनी
सवदा पहुंच कर
पुलिस ने मनोज गुजराती को हिरासत
में ले लिया.
थाने में जब मनोज से
पूछताछ शुरू हुई,
तब तक उस का नशा
कम हो चुका था. पहले
तो उस ने एसआई निखिल
को बताया कि
शराब के नशे में वह
यह सब अपने दोस्त पर
रौब जमाने के
लिए कह
रहा था. लेकिन
निखिल का एक करारा थप्पड़
उस के गले पर पड़ा
तो उस के होश ठिकाने
आ गए.
उस ने बताया
कि वह अपनी पत्नी कोमल
की हरकतों से
बहुत परेशान था.
इसलिए उस ने उसे बोंटा
पार्क के जंगल में ले
जा कर उस की हत्या
कर दी है. बोंटा पार्क
दिल्ली यूनिवर्सिटी के
पास है. कंझावला
थाने से वह काफी दूर
था. तब तक काफी रात
हो चुकी थी,
इसलिए अगली सुबह
निखिल कांस्टेबल महेश
और नरेश को साथ ले
कर उत्तरी दिल्ली
के मोरिसनगर थाने
पहुंचे और वहां की थानाप्रभारी
इंसपेक्टर आरती शर्मा
को उन के इलाके के
बोंटा पार्क में
एक लड़की की
हत्या किए जाने
की सूचना दी.
17 जून, 2017
को कंझावला पुलिस
द्वारा मिली इस सूचना को
थाना मौरिसनगर के
डीडी नंबर 14 ए
में दर्ज करवा
कर इंसपेक्टर आरती
शर्मा ने अतिरिक्त
थानाप्रभारी इंसपेक्टर वीरेंद्र
सिंह को इंसपेक्टर
राकेश कुमार, एएसआई
बिजेंद्र, हैडकांस्टेबल राजकुमार, सुखवीर,
कांस्टेबल श्याम सैनी
तथा महिला कांस्टेबल
मधु को आरोपी
मनोज और कंझावला
पुलिस के साथ बोंटा पार्क
भेजा.
पुलिस टीम पार्क
के गेट नंबर
6 से अंदर दाखिल
हुई. अंदर जा कर पुलिस
कोमल की लाश की तलाश
में जुट गई. मनोज ठीक
से उस जगह के बारे
में नहीं बता
पा रहा था, जहां उस
ने अपनी पत्नी
कोमल की हत्या
कर के उस की लाश
छिपाई थी. पुलिस
की तलाशी 12 घंटे
तक जारी रही,
लेकिन कोमल की लाश नहीं
मिली. रात घिर आई थी,
फिर भी तलाशी
चलती रही.
रात के करीब
12 बजे मनोज पुलिस
टीम को एक छोटी चट्टान
के पास ले कर गया,
जहां 22-23 साल की
एक लड़की की
लाश पड़ी थी.
वह गुलाबी रंग
का टौप और नीले रंग
की जींस पहने
थी. लाश की छानबीन करते
समय इंसपेक्टर वीरेंद्र
सिंह ने देखा कि उस
के दाहिने हाथ
पर कोमल गुदा
हुआ था.
आरोपी मनोज ने
लाश की ओर इशारा कर
के बताया कि
यह उस की पत्नी कोमल
की लाश है, जिसे उस
ने कल शाम को धोखे
से यहां ला कर उस
की हत्या कर
दी थी. लाश की फोटोग्राफी
कराने के बाद उसे पोस्टमार्टम
के लिए सब्जीमंडी
मोर्चरी भेज दिया
गया, साथ ही कोमल के
घर वालों को
फोन कर के उस की
लाश की शिनाख्त
के लिए सब्जी
मंडी मोर्चरी बुला
लिया गया.
17 जून को कोमल
की बड़ी बहन
गौरी सब्जी मंडी
पहुंची,जहां लाश
देखने के बाद उस ने
उस की पहचान
अपनी छोटी बहन
और मनोज गुजराती
की पत्नी कोमल
के रूप में कर दी.
कोमल की लाश की शिनाख्त
होने के बाद गौरी की
तहरीर पर उसी दिन कोमल
की हत्या का
मामला उस के पति मनोज
गुजराती के खिलाफ
भादंवि की धारा
302 के तहत दर्ज
कर लिया गया.
इस मामले की
विवेचना इंसपेक्टर वीरेंद्र
सिंह को सौंपी
गई. गौरी के बयान तथा
मनोज गुजराती के
बयानों के बाद 2
साल की लव मैरिज का
जो दर्दनाक वाकया
सामने आया, वह इस प्रकार
था—
कोमल के पिता
चमनलाल का परिवार
नांगलोई के चंचल पार्क में
रहता था. उन के परिवार
में पत्नी कमलेश
के अलावा 4 बेटियां
तथा 2 बेटे थे.
इन में कोमल
पांचवे नंबर की थी. घर
के लोग उसे प्यार से
कमली कह कर पुकारते थे. कोमल
के बड़े भाई
गंगाराम की शादी
8 साल पहले दिव्या
से हुई थी. मनोज गुजराती
दिव्या का चचेरा
भाई था.
मनोज का परिवार
कंझावला इलाके के
सावदा गांव में
रहता था. उस के परिवार
में उस के अलावा इस
के पिता राजू
गुजराती, मां कमलेश
तथा एक बहन परवीन थी.
घर के बाहरी
कमरे में मनोज
की परचून की
दुकान थी. दुकान
अच्छीखासी चलती थी,
जिस की वजह से मनोज
की जेब हमेशा
भरी होती थी.
वह शौकीनमिजाज युवक
था और हमेशा
बनठन कर रहता था. चूंकि
दोनों के परिवार
आपस में रिश्तेदार
थे, इसलिए समय
समय पर उन का एकदूसरे
के यहां आनाजाना
लगा रहता था.
2 साल पहले एक
दिन मनोज अपने
दोस्तों के साथ मस्ती करने
गुरुग्राम के सहारा
मौल पहुंचा. वहां
उस की नजर एक लड़की
पर पड़ी, जो
शक्लसूरत से जानीपहचानी
लग रही थी. वह कोमल
थी. मौडर्न कपड़ों,
गहरे मेकअप और
फ्लड लाइट की रंगबिरंगी रोशनी में
कोमल बहुत ही सुंदर लग
रही थी. दरअसल,
कोमल वहां एक पब में
नौकरी करती थी.
मनोज ने किसी
बहाने से कोमल को अपने
पास बुलाया तो
दोनों ने एकदूसरे
को पहचान लिया.
बातोंबातों में मनोज
ने उस का मोबाइल नंबर
ले लिया और जल्द ही
उस के घर चंचल पार्क
आने का वादा किया. कोमल
ने मनोज की खूब आवभगत
की और उसे अपने साथ
काम करने वाली
कुछ सहेलियों से
भी मिलवाया.
कोमल के लटकेझटके
देख कर मनोज पहली ही
नजर में उसे दिल दे
बैठा. इधर कोमल
भी मनोज के प्रति आकर्षित
हो गई. उस दिन मनोज
घर लौटा तो उस के
दिलोदिमाग में कोमल
की मनमोहिनी सूरत
बसी हुई थी. वह जल्दी
से जल्दी उसे
अपनी बना लेना
चाहता था.
उस दिन के
बाद दोनों एकदूसरे
को फोन कर के अपने
दिल की बातें
शेयर करने लगे.
कोमल मनोज को हमेशा मौल
में आने वाले
हाईफाई लोगों के
बारे में तरहतरह
के किस्से सुनाती,
जो मनोज को बहुत अच्छे
लगते. वह कोमल को प्रभावित
करने के लिए उसे महंगे
तोहफे देने लगा.
धीरेधीरे दोनों का
प्यार परवान चढ़ने
लगा. दोनों के
घर वाले इस सब से
कब तक अनजान
रह सकते थे.
उन्हें भी उन के प्यार
की जानकारी हो
गई.
मनोज और कोमल
के घर वाले यों तो
रिश्तेदार थे, लेकिन
पता नहीं क्यों
उन्हें यह रिश्ता
मंजूर नहीं था.
कोमल के पिता चमनलाल को
लगता था कि मनोज उन
की बेटी को ज्यादा दिनों
तक खुश नहीं
रख पाएगा. मनोज
सावदा गांव में
रहता था, जहां
के लोगों का
रहनसहन पुराने जमाने
जैसा था.
उधर मनोज के
घर वालों की
सोच भी कुछ ऐसी ही
थी. जब मनोज और कोमल
ने अपनेअपने घरों
में अपनी पसंद
जाहिर की तो उन्होंने इसे सिरे
से नकार दिया.
लेकिन प्यार इन
बंदिशों को कहां मानता है.
वैसे भी दोनों
ही अपने पैरों
पर खड़े थे.
इसलिए 5 जून, 2015 को
कोमल ने अपने मम्मीपापा की मर्जी
के खिलाफ जा
कर तीसहजारी कोर्ट
में मनोज से शादी कर
ली. शादी के बाद दोनों
रघुबीर नगर में किराए का
मकान ले कर रहने लगे.
8-10 महीने तो दोनों
ने खूब मौजमस्ती
की, लेकिन बाद
में मनोज को कोमल का
सहारा मौल में काम करना
बुरा लगने लगा.
उस ने कोमल से यह
काम छोड़ देने
के लिए कहा,
पर वह इस के लिए
तैयार नहीं थी.
उसे मौल में जा कर
परफौरमेंस देना और
नएनए लोगों से
मिल कर हंसनाबोलना
अच्छा लगता था.
बात आगे बढ़ी
तो दोनों के
बीच झगड़े शुरू
हो गए. पड़ोसियों
ने दोनों को
समझाया तो कोमल मनोज के
घर जेजे कालोनी,
सावदा में रहने
को तैयार हो
गई.
इस के बाद
कोमल अपने पति
मनोज के साथ सावदा में
जा कर रहने लगी. लेकिन
घर छोटा होने
के कारण उसे
काफी दिक्कतों का
सामना करना पड़ता
था. मनोज की एक बहन
परवीन थी, जिस से उस
की कतई नहीं
बनती थी. यह देख कर
मनोज ने दूसरी
जगह किराए पर
एक घर ले लिया और
दोनों उसी में रहने लगे.
कुछ दिनों तक
दोनों सुखचैन से
रहे. मनोज की जिंदगी में
अचानक भूचाल तब
आया, जब एक दिन वह
कोमल के सूटकेस
में रखी उसकी
एलबम देख रहा था. एक
फोटो में वह एक लड़के
के साथ बहुत
खुश दिख रही थी.
मनोज ने कोमल
को वह फोटो दिखा कर
उस लड़के के
बारे में पूछा
तो कोमल ने बताया कि
यह अमित है और उस
के साथ सहारा
मौल में नौकरी
करता था. अमित
महज उस का दोस्त है.
लेकिन मनोज को कोमल की
बातों पर विश्वास
नहीं हुआ. उस ने कोमल
के जानकारों से
अमित के बारे में पूछा
तो पता चला कि शादी
से पहले अमित
कोमल का बौयफ्रैंड
था. मनोज को यह जानकारी
मिली तो वह परेशान हो
गया. कोमल के बारे में
यह जानकारी मिलने
के बाद मनोज
उस से उखड़ाउखड़ा
रहने लगा.
कुछ ही दिनों
बाद उन के बीच फिर
से झगड़े शुरू
हो गए. कोमल
ने अपने घर में फोन
कर के बताया
कि मनोज उस से दहेज
लाने के लिए दबाव डालता
है और मना करने पर
उस के साथ मारपिटाई करता है.
एक महीने बाद
कोमल मनोज की मारपिटाई से दुखी हो कर
अपनी बड़ी बहन
किरण के पास रहने के
लिए रघुवीरनगर चली
गई. मनोज सावदा
स्थित अपने घर में अकेला
रह गया. एक दिन उसे
पता चला कि कोमल फिर
से अपने पुराने
बौयफ्रैंड अमित से
मिलने लगी है. यह जान
कर मनोज को चिंता हुई
कि कोमल कहीं
उस से किनारा
न कर ले. यही सोच
कर उस ने कोमल के
मोबाइल पर बात करने की
कोशिश की. कुछ दिन तो
कोमल मनोज के फोन को
नजरअंदाज करती रही,
लेकिन धीरेधीरे दोनों
में बातचीत शुरू
हो गई.crime story
एक महीना पहले
कोमल ने मनोज को बताया
कि वह बहन पर बोझ
नहीं बनना चाहती,
इसलिए उस ने रघुवीरनगर के ही डी ब्लौक
में अपने लिए
अलग कमरा ले लिया है,
जहां रह कर अब वह
फिर से जौब पर जाएगी.
घर में बैठेबैठे
उस का मन नहीं लगता.
दूसरे बिना पैसों
के जिंदगी भी
नहीं चलती. मनोज
को उस की यह बात
अच्छी नहीं लगी
तो उस ने उस के
नौकरी करने का विरोध करते
हुए वापस घर लौट आने
के लिए कहा.
इस पर कोमल ने ऐतराज
करते हुए मनोज
से कहा कि वह उस
के साथ गांव
में नहीं रहेगी,
क्योंकि वह उस के
साथ गालीगलौच करने के साथ मारपीट
करता है. ऐसा जीवन वह
नहीं जी सकती.
15 जून, 2017
को मनोज अपनी
दुकान छोड़ कर कोमल से
मिलने उस के घर पहुंचा.
मनोज को आया देख कर
उस ने उसे और उस
के परिवार वालों
को बहुत बुराभला
कहा. कोमल की बातों से
मनोज को लगा कि वह
उस के साथ नहीं रहना
चाहती. उसे बहुत
गुस्सा आया. घर पहुंच कर
वह सोचने लगा
कि उस ने कोमल से
कोर्टमैरिज की है
और वह उस की पत्नी
है. अगर वह उस के
साथ नहीं रहेगी
तो वह भी उसे उस
की मनमर्जी से
नहीं जीने देगा.
अगले दिन सुबह
उस ने एक मोबाइल शौप
पर जा कर नया सिम
खरीदा और एक मैकेनिक के यहां से क्लच
वायर ले आया. उसी सिम
से उस ने कोमल से
बड़े प्यार से
बात की. बातोंबातों
में उस ने कोमल को
घूमने जाने के लिए राजी
कर लिया. उस
दिन काफी बारिश
हुई थी, जिस से मौसम
सुहाना हो गया था.
16 जून को मनोज
ने कोमल को फिर फोन
कर के मिलने
के लिए सीमेंट
गोदाम के पास बुलाया. कोमल ने कहा कि
वह उस के पास पहुंच
जाएगी. 2 बजे मनोज
अपनी मोटरसाइकिल से
सीमेंट गोदाम के
पास पहुंचा तो
थोड़ी देर बाद कोमल आ
गई. उस ने कोमल को
मोटरसाइकिल की पिछली
सीट पर बिठाया
और रिंगरोड होते
हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी
के बोंटा पार्क
जा पहुंचा.
पार्क के गेट
पर मोटरसाइकिल खड़ी
कर के वह कोमल के
साथ अंदर चला
गया. कोमल को विश्वास में लेने
के लिए वह उस से
रोमांटिक बातें कर
रहा था. वहां
झाडि़यों के पास
कई युवा जोड़े
प्रेमालाप में मग्न
थे. यह देख कर कोमल
भी रोमांटिक हो
गई. कोमल से प्यारीप्यारी बातें करते
हुए मनोज उसे
एकांत में ले गया, जहां
दोनों एक साफसुथरी
चट्टान पर बैठ गए. मनोज
ने उसे बांहों
में ले कर अपनी गलतियों
के लिए माफी
मांगी और फिर से ऐसा
न करने की कसम खाई
तो कोमल खुश
हो गई.
जब मनोज को
लगा कि मौका एकदम सही
है तो उस ने कोमल
से कहा, ‘‘तुम
अपना मुंह पीछे
की तरफ कर लो, मैं
तुम्हारे लिए एक
सरप्राइज गिफ्ट लाया
हूं.’’
कोमल ने खुश
हो कर मुंह पीछे की
ओर कर लिया.
उचित मौका देख
कर मनोज ने जेब में
रखा क्लच वायर
निकाला और कोमल की गर्दन
पर लपेट कर कस दिया.
कोमल ने मनोज को वायर
ढीला करने के लिए कहा,
साथ ही बचने के लिए
बहुत हाथपैर मारे,
जिस की वजह से मनोज
के हाथों में
खरोंचे भी आ गईं. लेकिन
उस ने वायर को ढीला
नहीं किया.
कुछ ही पलों
में कोमल ने आखिरी हिचकी
ली और उस की गर्दन
एक ओर लुढ़क
गई. कोमल की लाश को
परे धकेल कर वह पार्क
से बाहर आ गया और
अपनी मोटरसाइकिल पर
सवार हो कर घर लौट
आया. इस के बाद उस
ने अपनी जीत
का जश्न मनाने
के लिए अपने
दोस्त अनुज के साथ शराब
की पार्टी की,
जहां कोमल की हत्या का
राज उस पर जाहिर कर
दिया. पूछताछ के
बाद पुलिस ने
17 जून, 2017 को मनोज
को तीसहजारी कोर्ट
में पेश किया,
जहां से उसे जेल भेज
दिया गया.
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