‘तुम मेरी बात
को समझने की
कोशिश करो अर्चना.
मैं शादीशुदा हूं.
मेरे परिवार में
मातापिता, पत्नी और
बच्चे हैं. मैं
उन को छोड़ कर तुम्हारे
साथ नहीं रह सकता. तमाम
तरह की दिक्कतें
आएंगी,’ उत्तर प्रदेश
के मुरादाबाद जिले
की पुलिस लाइन
में तैनात सिपाही
प्रदीप ने अपनी प्रेमिका होमगार्ड सिपाही
अर्चना रावत को समझाते हुए
कहा.
‘तुम केवल अपना
मतलब देख रहे हो. जब
तुम ने मेरे साथ जिस्मानी
संबंध बनाए थे,
उस समय यह सब तुम
को याद नहीं
था. मुझे भी अपने घरपरिवार
में जवाब देना
होता है,’ परेशान
अर्चना ने प्रदीप
को समझाने की
कोशिश की.
‘देखो, मेरे और
तुम्हारे बीच जोकुछ
हुआ, उस में तुम्हारी रजामंदी थी,’
प्रदीप बोला.
‘ठीक है मेरी
रजामंदी थी, पर तुम ने
भी तो मुझे यह नहीं
बताया था कि तुम शादीशुदा
और बालबच्चेदार हो.
मैं ने तो तुम से
दोस्ती के बाद शादी का
सपना देखा था,’
रोंआसी हो कर अर्चना ने
कहा.
‘अर्चना, तुम भी
शादीशुदा थीं. तुम
अपने पति को छोड़ चुकी
थीं. तब तुम मेरे साथ
आईं. मैं ने अपने परिवार
को छोड़ा नहीं
था. देर से ही सही,
पर यह बात मैं ने
तुम को बताई तो थी,’
प्रदीप ने कहा.
‘देखो, कब क्या
हुआ क्या नहीं,
यह सोचने का
समय चला गया है. अब
फैसला तुम को करना है
कि तुम्हें किस
के साथ रहना
है. अगर मेरा
साथ छोड़ने की
सोच रहे हो, तो यह
समझ लेना कि मैं तुम
को भी सुकून
से नहीं रहने
दूंगी.’’ अर्चना
ने धमकी दी.
‘अभी भी तुम
गुस्से में हो. हम आराम
से बातें करेंगे.
अभी मैं चलता
हूं,’ कह कर सिपाही प्रदीप
अर्चना को छोड़ कर चला
आया.
अपने कमरे पर
आ कर प्रदीप
सोचने लगा कि इस हालात
से खुद को कैसे निकाल
सके.
प्रदीप उत्तर प्रदेश
के गौतमबुद्ध नगर
के गांव दुजाना
का रहने वाला
था. साल 2012 में
उस की नौकरी
उत्तर प्रदेश पुलिस
महकमे में लगी थी. लखनऊ
जिले के गाजीपुर
थाने में उस की पहली
पोस्टिंग हुई थी.
राजधानी लखनऊ में
जब मौडर्न पुलिस
कंट्रोल रूम खुला,
तो प्रदीप की
ड्यूटी वहां लग गई.
वहीं पर उस की मुलाकात
अर्चना रावत से हुई थी.
अर्चना लखनऊ के ही विभूति
खंड इलाके के
गांव पासी विजयीपुर
की रहने वाली
थी. वह होमगार्ड
में सिपाही थी.
अर्चना अपने परिवार
में भाई कमलेश,
हरीश और सुरेश
के साथ रहती
थी. वह अपनी भाभी रानी
को बहुत मानती
थी.
पुलिस कंट्रोल रूम के बाद अर्चना
की तैनाती विभूति
खंड थाने में
हुई थी. उस ने थाने
पर तैनाती नहीं
ली, जिस से उस की
ड्यूटी लखनऊ पुलिस
लाइन में लगा दी गई
थी. देखने में
खूबसूरत 30 साल की
अर्चना बातें भी
बहुत प्यार भरी
करती थी. मौडर्न
पुलिस कंट्रोल रूम
में आने वाली
शिकायतों को वह
बहुत अच्छी तरह
से संभालती थी.
उस को देख कर कोई
कह नहीं सकता
था कि वह होमगार्ड की सिपाही
है. अर्चना की
शादी हो चुकी थी. पति
के साथ उस का संबंध
ठीक नहीं चला,
जिस के चलते उन में
अलगाव हो गया. मौडर्न पुलिस
कंट्रोल रूम में काम करतेकरते
प्रदीप और अर्चना
के बीच दोस्ती
हो गई थी. वह कई
बार अर्चना के
घर चला जाता
था और वहां आराम से
रहता व खातापीता
था. नतीजतन, उन
की दोस्ती करीबी
रिश्ते में बदल गई. अर्चना
प्रदीप को अपने जीवनसाथी के रूप में देखने
लगी थी. लेकिन
प्रदीप ने कभी यह नहीं
बताया कि वह शादीशुदा है.
रिश्तों में करीबी
आने के बाद जब अर्चना
ने एक दिन प्रदीप से
अपनी शादी की बात चलाई,
तो प्रदीप का
सामना हकीकत से
हुआ. पर उस ने अर्चना
को समझा दिया
कि वह शादीशुदा
है. यह बात पता चलने
के बाद अर्चना
और प्रदीप के
संबंधों में खिंचाव
आना शुरू हो गया था.
अपने कमरे पर परेशान प्रदीप
को कोई रास्ता
नहीं दिख रहा था. वह
अर्चना के स्वभाव
को जानता था.
उसे यह भी पता था
कि अर्चना उस
को बहुत चाहती
है और उस से दूर
नहीं जा सकती.
इसी बीच प्रदीप
के 5 साल के बेटे की
तबीयत खराब हो गई. उस
ने यह बात अर्चना को
बताई और घर जाने के
लिए कहा, तो अर्चना को
लगा कि प्रदीप
बहाना बना कर अपने घर
जाना चाहता है.
अर्चना ने प्रदीप
को धमकी दी कि अगर
वह अपने घर गया, तो
वह उस के खिलाफ शोषण
का मुकदमा लिखा
देगी.
बदनामी से बचने
के लिए प्रदीप
अपने घर नहीं गया. बीमारी
बढ़ने से उस के 5 साल
के बेटे की मौत हो
गई.
इस से प्रदीप
परेशान हो गया था. वह
किसी भी तरह से अर्चना
से पीछा छुड़ाने
की कोशिश करने
लगा था.
अर्चना ने प्रदीप
से उस की पत्नी और
घर वालों का
मोबाइल नंबर ले लिया और
उन को भी फोन कर
के धमकी देने
लगी. अब वह पूरी तरह
से प्रदीप को
परेशान करने पर उतर आई
थी.
कोई रास्ता न
देख प्रदीप ने
अपना तबादला लखनऊ
से मुरादाबाद करा
लिया. वहां उस की तैनाती
पुलिस लाइन में
हो गई. प्रदीप
के लखनऊ से तबादला होने
के बाद अर्चना
ने 15 दिसंबर, 2015 को
अपने घर वालों
को बताया कि
वह एक हत्याकांड
की जांच के सिलसिले में पुलिस
टीम के साथ लुधियाना जा रही है.
दरअसल, लखनऊ में
बने एक फाइवस्टार
होटल के मैनेजर
नमन की हत्या
हो गई थी. पुलिस हत्या
के खुलासे के
लिए हाथपैर मार
रही थी. इस हाईप्रोफाइल केस के बारे में
लखनऊ में हर किसी को
पता था. अर्चना
के घर वालों
को भी इस बात पर
यकीन हो गया था कि
वह लुधियाना जा
रही है. 19 दिसंबर,
2015 को हापुड़ के
सिंभावली थाना क्षेत्र
में नया बांस
गांव के जंगल में एक
लाश मिली. लाश
को देख कर उस को
पहचान पाना मुश्किल
काम था. हापुड़
पुलिस को लाश के पास
से एक एटीएम
कार्ड मिला था.
इस कार्ड की
मदद से यह पता चल
गया था कि मरने वाली
अर्चना रावत है.
यह बात जब
अर्चना के घर वालों को
पता चली, तो उन का
कहना था कि वह नमन
हत्याकांड की जांच
करने लुधियाना गई
थी, तो हापुड़
कैसे पहुंच गई?इस गुत्थी
को सुलझाने में
लखनऊ और हापुड़
पुलिस को एक हफ्ते का
समय लग गया. नमन हत्याकांड
से जुड़ा नाम
होने के नाते मामला सनसनीखेज
हो चला था.
23 दिसंबर, 2015 को अर्चना
हत्याकांड में पुलिस
महकमे के ही सिपाही प्रदीप को
पकड़ कर पूछताछ
की गई, तो सच सामने
आया.
मुरादाबाद तबादला हो
जाने के बाद भी अर्चना
उस से बातचीत
करती थी. वह दबाव बना
रही थी कि प्रदीप उसे
अपने मातापिता से
मिलवाए.
15 दिसंबर,
2015 को अर्चना अपने
घर से लुधियाना
जाने का बहाना
बना कर निकली.
उस ने अपनी स्कूटी चारबाग
रेलवे स्टेशन की
पार्किंग में खड़ी
की और दिल्ली
जाने वाली ट्रेन
पकड़ कर 16 दिसंबर,
2015 की सुबह मुरादाबाद
पहुंच गई. प्रदीप
ने अर्चना को
मुरादाबाद में रेलवे
स्टेशन के पास बने एक
होटल में ठहराया
था. अर्चना के
साथ प्रदीप भी
होटल में ही रुका था.
रातभर वह अर्चना
को समझाता रहा
कि वह मातापिता
से मिलने की
बात जाने दे,
पर अर्चना हर
हाल में प्रदीप
के गांव जाना
चाहती थी. अर्चना
चाहती थी कि प्रदीप के
मातापिता भी उस
का साथ देंगे,
तो प्रदीप अपनी
पत्नी और बच्चों
को छोड़ कर उस के
साथ रहने लगेगा.
17 दिसंबर,
2015 को ड्यूटी के
बाद प्रदीप अर्चना
को अपनी मोटरसाइकिल
से ले कर गांव जाने
लगा. रास्ते में
भी प्रदीप उसे
समझाने की कोशिश
कर रहा था, पर अर्चना
इस के लिए तैयार नहीं
थी. रास्ते में
ही प्रदीप ने
अपनी मोटरसाइकिल हाईवे
से नहर की पटरी पर
मोड़ दी और सिंभावली थाना क्षेत्र
के गांव नया
बांस के पास गन्ने के
एक खेत के पास अर्चना
को मोटरसाइकिल से
नीचे उतरने को
कहा और उसे थप्पड़ मारा.
अर्चना ने जब विरोध किया,
तो प्रदीप ने
पास ही खेत में पडे़
डंडे से पीटपीट
कर उसे मार डाला. इस
के बाद उस ने डंडा
दूर फेंक दिया
और अर्चना की
लाश को पास के एक
कुएं में डाल दिया.
इस के बाद
प्रदीप मुरादाबाद लौट
आया. वह अपने साथ अर्चना
का मोबाइल फोन
और पर्स भी उठा लाया
था. मुरादाबाद आ
कर प्रदीप ने
मोबाइल फोन बंद कर के
बैग में रखा और उस
बैग को लखनऊ जाने वाली
ट्रेन में रख दिया. प्रदीप
की योजना थी
कि अर्चना के
घर न पहुंचने
पर जब गुमशुदगी
की रिपोर्ट दर्ज
कराई जाएगी, तो
पुलिस उस के मोबाइल नंबरों
पर फोन करेगी.
उन नंबरों को
सर्विलांस पर लगाएगी.
बैग में रखा मोबाइल जिस
किसी को मिलेगा,
वह उसे इस्तेमाल
करेगा. पुलिस उस
से ही अर्चना
के संबंध में
पूछताछ करेगी.
लेकिन प्रदीप से
एक गलती हो गई कि
उस ने अर्चना
का जैकेट मौके
पर ही छोड़ दिया था.
जैकेट की जेब से पुलिस
को एटीएम कार्ड
मिल गया, जिस
के बाद पुलिस
अर्चना की लाश की शिनाख्त
करने में कामयाब
हो गई.
मुरादाबाद जिले के
सिंभावली थाने के
एसओ दीक्षित कुमार
त्यागी ने बताया
कि पुलिस के
सामने प्रदीप ने
अपना गुनाह कबूल
कर लिया है.
उसे हत्या के
आरोप में पकड़
कर अदालत के
सामने पेश किया
जाएगा.
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